नृत्य प्रतियोगिता
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एक बार श्यामसुन्दर के मन में श्री किशोरी जू और उनकी सभी सखियों का नृत्य देखने की इच्छा हुई। नटखट कान्हा अपने सखाओं से बोले यदि हम एक नृत्य प्रतियोगिता रखें और इन सब गोपियों को हरा दें तो कितना आनन्द हो। उनकी शरारती मित्र मण्डली उछल कूद तो खूब जाने पर नृत्य करना सबके बस की बात कहाँ।
श्यामसुन्दर ने नृत्य प्रतियोगिता की बात श्यामा जू और उनकी सखियों से कही जिसे श्यामा और सब सखियों ने हँसकर स्वीकृति दे दी। इस नृत्य प्रतियोगिता में जितने वाले को हारने वाले से अपनी मनचाही बात मनवानी थी। प्रतियोगिता के लिए उपयुक्त स्थान और समय नियत हो गया।
श्यामा और उनकी सारी सखियाँ तो नृत्य संगीत में अद्भुत प्रवीण थीं। सब ताल से ताल मिला नाचने और गाने लगीं। दूसरी और नटखट मित्र मण्डली को उछल कूद से ना फुर्सत मिले न ही नाच गान के लिए कोई प्रयास हुआ।
प्रतियोगिया का दिन पास आ गया अब श्यामसुन्दर अपने सखाओं से कहते हैँ यदि हमने अभी भी कोई प्रयास नहीं किया तो हमारी नाक कट जावेगी। सब सखा बेसुरी ताल दे गाने और नृत्य का अभ्यास करने लगे। आहा ! उनके इस प्रयास को देख श्यामा और उनकी सखियों की हँसी छूट रही थी परन्तु उन्होंने नोक झोंक करना उपयुक्त नहीं समझा।
प्रतियोगिता का दिन आ गया। नियत समय पर प्रतियोगिता शुरू हुई। कान्हा और उनकी नटखट मण्डली का नृत्य संगीत देख देख श्यामा और उनकी सखियाँ खूब हँसी । अब श्यामा और उनकी सखियों की बारी आई। अद्भुत नृत्य और गान हुआ। बलिहारी बलिहारी ऐसा नृत्य संगीत देख श्यामसुन्दर का मन मुग्ध हो गया। प्रतियोगिता तो मात्र एक बहाना था उनको तो इस अद्भुत आनंद की चाह थी। अब सखियाँ बोली श्यामसुन्दर आप और सारी सखा मण्डली हार गयी है अब आपको अपनी हार स्वीकार करनी होगी और हमारी श्यामा जू के चरण छूने होंगें। आहा ! आनन्द एक तो प्यारी जू का सखियों संग अद्भुत नृत्य देखा और सखियों ने प्यारी जू की चरण सेवा दिलवा दी। श्यामसुन्दर आज अपने सौभाग्य पर प्रसन्न हो रहे हैँ। श्यामसुन्दर के हृदय में कोई अभिलाषा हो और वो श्यामा पूरी नहीं करें ऐसा तो कभी सम्भव ही नहीं हुआ। श्यामा अपने प्रियतम श्यामसुन्दर से अभिन्न ही हैँ।
ऐसी अद्भुत प्रीती पर पुनः पुनः बलिहारी।
जय जय श्री राधे
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